Indian Education System Exposed | भारतीय शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी

Indian Education System Exposed


भारत के एजुकेशन सिस्टम में दो कमी है, ना एजुकेशन है ना सिस्टम है सरकारी स्कूल की बात करें वी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है ढंग के टीचर नहीं है क्वालिटी के एजुकेशन नहीं है और प्राइवेट स्कूल की अगर बात करें तो उनकी फीस और नखरे इतने ज्यादा है की आम आदमी की औकात नहीं है और जैसे तैसे ऐसी सिस्टम से कोई पढ़ भी ले तो भाई फिर नौकरी भी नहीं है क्योंकि स्कूल और कॉलेज से एजुकेशन सिस्टम कम बिजनेस के अड्डे ज्यादा है जिनके लिए स्टूडेंट सिर्फ एक कस्टमर है स्कूल कॉलेज वो जगह नहीं है जहां पे शिक्षा का मंदिर हो और जहां पे एक स्टूडेंट को स्किल और नॉलेज दी जाए ये तो


वो अड्डा है जहां पे कॉरपोरेट के लिए क्लर्क और उसे लेवल की व्यक्ति तैयार करके भेजें जाते हैं जो कुछ भी आज हमारे युवा के साथ गलत है वो स्कूल कॉलेज के सिस्टम की दें है और ये चीज मैं इस वीडियो में प्रूफ करके रहूंगा पहले के जो फोन होते थे गोल-गोल घुमाके उसमें डायल करना होता था आजकल का फोन इतना अपडेट हो गया है की वीडियो कॉलिंग तक कर सकते हैं आपका टीवी बादल गया आपका फ्रिज बादल गया आपका एक-एक इक्विपमेंट बादल गया और आपका एजुकेशन सिस्टम वही 100 साल पुराना सदा हुआ था सिस्टम जो अब किसी कम का नहीं हुआ पेरेंट्स अपना पेट कैट के अपने सपनों का


गला गोट के हर चीज पे कंप्रोमाइज करते हैं बस एजुकेशन पे नहीं करते एजुकेशन के लिए कोई गने गिरवी रख रहा है कोई जमीन बीच रहा है इस उम्मीद में की मेरे बेटे की लाइफ सेट हो जाएगी करियर बन जाएगा लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी नौकरी मिलती नहीं है और मिल भी जाए तो ऐसी नौकरी की पूरा मूल तो छोड़ो बास भी नहीं चक सकता तो आखिर ऐसा क्या गलत है जो एजुकेशन सिस्टम है और है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन है गवर्नमेंट पेरेंट्स स्कूल कॉलेज या स्टूडेंट खुद हम एक-एक करके सबकी भूमिका चेक करेंगे और सिर्फ समस्याओं का रोना नहीं रोएंगे हम सॉल्यूशन की भी बात करेंगे की आखिर वास्तव


में सॉल्यूशन है क्या [संगीत] एक गरीब आदमी के पास आज की रेट में गरीबी से बाहर आने का एक ही तरीका है एजुकेशन की अगर मेरा बेटा पढ़ लिख गया उसका करियर बन गया लाइफ सेट हो गई तो हम गरीबी रेखा से बाहर निकाल जाएंगे हम भी सेट हो जाएंगे इस उम्मीद में बहुत पैसे खर्च करता है बहुत मेहनत करता है बहुत संघर्ष करता है लेकिन ये एजुकेशन सिस्टम उसका करियर बनाने की बजे बर्बाद कर देता है और लाइफ सेट नहीं होती कई बार तो इसी फ्रस्ट्रेशन में वही स्टूडेंट अपनी लाइफ अंत कर लेट है पर आखिर ऐसा होता क्यों है जब इतने कॉलेज हैं और इतनी स्कूल और इतनी पढ़ाई है तो बंदे की


नौकरी क्यों नहीं ग रही क्यों सोचें का रहा है की 93% लोग नौकरी के ले की नहीं है उन एंप्लॉय है या अंदर एंप्लॉय है कई सर्वे में 80 होता है कई सर्वे में 90 होता है इतना बड़ा अगर आखिर क्यों इन सब के पीछे करण है आज का मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम तो आज के एजुकेशन सिस्टम के चक्कर में बंदे में वो क्वालिटी डेवलप हो ही नहीं पाती जो की आज का बाजार डिमांड कर रहा है इसी चक्कर में उसकी नौकरी नहीं ग रही तो ऐसा क्यों नहीं हो रहा इसके बड़े इतिहास में चलते हैं तो आपको पता पड़ेगा ऐसा क्यों तो आज का जो एजुकेशन सिस्टम है वो डिजाइन किया गया है ब्रिटिश इंडिया के


टाइम का लॉर्ड मैकॉलिन ने सिस्टम को डिजाइन किया था जब सिस्टम को डिजाइन किया था तो उसे समय इनको कम करवाना था बहुत सर पर क्लर्क की कमी थी जूनियर लेवल के लोगों की कमी थी सीनरी लेवल के लोगों की कमी नहीं थी क्योंकि सीनरी लेवल पर तो राज करना है वो तो ब्रिटिश खुद ही करेंगे तो टॉप लेवल तो ब्रिटिशर्स के लिए रिजल्ट था नीचे लेवल के लिए आदमी चाहिए था तो बोले यार इंडिया में तो लोग हैं ही नहीं हमारे कम के तो बोले कोई बात नहीं एक एजुकेशन पॉलिसी लो और इनको हमारे जैसा बना आप एजुकेशन सिस्टम का मतलब होता है किसी भी स्टूडेंट में एक चरित्र का विकास करना उसे


एक बढ़िया समझदार सभ्य नागरिक बनाना लेकिन अंग्रेज ऐसा क्यों सोचेंगे की भैया हमें अच्छा आदमी बनाना है बोले हमें तो ऐसा आदमी बनाना जो हमारे कम का हो तो बैठ के मैं कल है और जो टीम थी और उसे समय के जो लोग थे भैया कैसे आदमी चाहिए बताओ मुझे सबसे पहले आदमी ऐसा चाहिए पंक्चुअल टाइम से आए टाइम से जाए हर कम टाइम से चले ऐसा एम्पलाई चाहिए मुझे ठीक है दान तो स्कूलों में आपके घंटी आई की भैया सुबह घंटी है तन तन घंटी से आना है घंटी पीरियड लगेंगे घंटी से लंच होगा घंटी से वापस जाना है ताकि हर बांदा घंटी से कम करने का आदि हो जाए और ये जो परपज था ये जो फैक्ट्री आई


फैक्ट्री में भी यही सिस्टम था तो यही व्यक्ति जा के फैक्ट्री में जो मजदूर बनेंगे तो ये घंटी से इनका परिचय पुराना रहेगा ये करण था दूसरा बोले बताओ कैसा हाथ बच्चा चाहिए बोले ऐसा बच्चा चाहिए जो ऑर्डर फॉलो करें जो उसे का दिया जाए बस आज बैंड करके फॉलो करें अपना दिमाग नहीं लगाएं जैसे फैक्ट्री में अगर आके कम करेगा तो वहां पे एक पॉलिसी है सरकार की बनाई हुई उसको फॉलो करें अगर कोई सरकारी ऑफिस में कम करें तो वहां भी एक पॉलिसी का ध्यान रखें तो भैया इसको रत्तेदार व्यक्ति बना दो फिर स्कूल में फिक्स सिलेबस कर दिया की भाई ये सिलेबस है यही पढ़ना है


इसके कुछ आगे नहीं इसके पीछे नहीं जो इसमें लिख दिया फाइनल अगर भारतीय बच्चे से पूछो भैया भारत में कितनी राइट होती है तो बोलेगा कर अरे भैया छह होती है लेकिन वो कर ही बोलना है क्यों किताब में कर लिखी है अंग्रेजन ब्रिटिश में कर होती ब्रिटेन में कर होती है उन्होंने कर लिख दी का कर लिखना पड़ेगा छह लिख दिया तो नंबर कट जाएंगे तुम्हारे तो हमारे आदत हो गई है रटंट विद्या की बस रातों उल्टी करो पास हो जो और किसी से मतलब नहीं है एक्चुअल ज्ञान चाहिए ही नहीं कल मिला के उन्होंने कहा की ऐसे एम्पलाई आने चाहिए जो अपना दिमाग नहीं


लगाया जो हम बोले फॉलो कर देंगे तो सिंपल वैसे ही एजुकेशन सिस्टम बना और ऐसे ही लोग ए रहे हैं तीसरा उन्होंने कहा की मुझे ऐसा व्यक्ति चाहिए जो भाई साहब ऑर्डर फॉलो करें और नहीं फॉलो करें तो भैया डंडा भी मार डन तो कुछ कहे नहीं क्योंकि ये जब व्यक्ति सरकारी नौकरी में आएगा कम नहीं करेगा तो इसका अफसर इसको मार भी सकता है अंग्रेज है भाई साहब फैक्ट्री में कम करेगा तो सुपरवाइजर मारेगा उसकी आदत कैसे डाला है स्कूल में टीचर दाल दिया बोले तेरा कम क्या है जो सिलेबस का रता है वो रता लगता जो रता नहीं लगा है ना मारो धात की उंगली में पेंसिल फंसा के ऐसे ढाबा दो


लकड़ी से मारो बाहर खड़ा करो टेबल पे खड़ा करो बेज्जत कर दो तो स्कूल बेसिकली टॉर्चर सेंटर ज्यादा हो गया था फिर एक और चीज जो स्कूल ने नहीं सिखाई या लोट में से थी की भैया कल को ज्यादा इनमें लीडरशिप के गन डेवलप मत कर देना कल कोई लीडर बन गए नेता हमारे खिलाफ कर देंगे एक हमें स्ट्रांग पर्सनालिटी नहीं एक डब्बू पर्सनालिटी चाहिए जो ओरिजिनल आइडिया लाइव वो आदमी नहीं चाहिए जो कॉपी करें वो वाला आदमी चाहिए और इसीलिए इनके आपस में कोलैबोरेशन नहीं होना चाहिए दोस्ती नहीं हनी चाहिए तो कंपटीशन का झगड़ा की भैया 50 बच्चे हैं बट टॉप रैंक तो इसी की है तो आदमी में आदत


लगेगी जो बहुत ज्यादा इंटेलिजेंस था वो दूसरे की मदद नहीं करेगा तथा इसकी मदद करूंगा तो मेरे बराबर ए जाएगा आपने देखा ना बच्चे ऐसे छुपा-छुपा के कॉपी करते हैं की ये छुपा-छुपा कर लो तो ये इंडिया में ये ए गया की जिसके पास टैलेंट है भाई छुपा-छुपा की तरह कम कर ले बात मत देना ओलाबाते मत कर लेना एक दूसरे तेरे साथी को बड़ा मत देना ये अंदर ही अंदर आपके अंदर चीज डेवलप कर दी तो अगर आप वर्ल्ड में कहानी भी देखोगे तो चीन में अगर किसी ने कुछ अच्छी चीज डेवलप कर ली तो वो पूरा ग्रुप बनाते हैं एक दूसरे को सपोर्ट करते चलो सब आगे बंधन उस में होता है भैया


सिलिकॉन वाली में एक स्टार्टअप बन गया तो सब बाकी स्टार्टअप को हेल्प कर रहा है की कोशिश सिस्टम बना रहा है यहां पे किसी ने कुछ अच्छी कर लिया किसी को बताना नहीं है तो बॉन्डिंग कभी हुई नहीं ट्रस्ट कभी बना ही नहीं लीडरशिप कभी आई नहीं ओरिजिनल आइडिया आए नहीं सिर्फ कॉपी करना रतन गधे जैसे घिसना ये हमको ए गया तो अगर आपको लगता है की राहुल जी इस तरह से तो बात को हमने कभी सोचा ही नहीं की स्कूल हमारे साथ ये कर रहा है कॉलेज हमारे साथ ये कर रहा है हमारी जो पर्सनालिटी इस तरह से शॉप हो रही है जी तरह से हम बन रहे हैं ये स्कूल कॉलेज की इस घटिया सिस्टम की वजह से बन


रहे हैं अगर आपको ये ग रहा है तो मुझे लाइक करके वीडियो के मध्य से बताना और एक कमेंट जरूर करना क्योंकि ये मेरे ही मां की उपज है मैं ही हवा में चीज़ फेक रहा हूं ये वास्तव में ऐसा हुआ है मुझे कमेंट बॉक्स में आपका साथ चाहिए तो आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा की इनकी नौकरियां क्यों नहीं लगती अरे सर मैं भी बिजनेस मां हूं मैं भी बिजनेस कोचिंग करता हूं मेरे ऑफिस में भी इतने जनों का स्टाफ है मैं क्या बोलूंगा मुझे ऐसा व्यक्ति चाहिए जो अपना दिमाग लगाएं जो मेरे कर आदमियों को मैनेज कर सके जिसमें लीडरशिप स्किल हो जिसमें मैनेजमेंट स्किल हो बट अगर एजुकेशन


सिस्टम से ऐसा बांदा आया जो कर आदमी से कम कर ही नहीं सकता वो तो बस खुद का कम कर लेट है वही बहुत है और वो कहता है मुझे जितना बताओगे उतना करूंगा आप सभी बिजनेसमैन हम जितने भी वीडियो पसंद है की सर जी मुंह से बताते हैं जब तो कर लेट है बिना बोले अपने मां से कुछ करता ही नहीं है सामने तो कम कर लेट है पीठ पीछे तो करता ही नहीं है ये अकेला तो कम कर सकता है इसमें करवाने की कैपेबिलिटी नहीं है तो यही साड़ी चीज तो एक बिजनेस में ढूंढ रहा है जब इसमें व्यक्ति को मिलती नहीं है तो क्या करें या तो हायरिंग ही नहीं करेगा या हायरिंग करेगा तो जूनियर


पौधे पे करेगा कम सैलरी देगा ज्यादा तुमको देगा नहीं कभी तुम्हारी ग्रोथ नहीं होगी तो तुम्हारा जो ऐसा चरित्र बना जिसकी वजह से ना नौकरी ग रही ना ग्रोथ हो रही क्यों क्योंकि स्कूल कॉलेज में तुम्हें ऐसा बनाया और इसी करण से आगे एन बिजनेस कोच में आपको यहां से का रहा हूं भारत में 90% लोग सेल्फ एंप्लॉय हैं खुद का कम खुद करके राजी है देखो अमेरिका में बड़े-बड़े बिजनेस निकले चीन में बड़े-बड़े बिजनेस निकले इंडिया में बड़े-बड़े बिजनेस नहीं निकलते हर गली मोहल्ले में है चीजें हैं और बड़ी नहीं बंटी क्यों नहीं बंटी क्योंकि बड़ा बनाने के लिए आपको एक बड़ी


टीम बनानी पड़ेगी चीजों को फैलाना पड़ेगा यहां पे तो आदमी नहीं मिलते टीम कैसे बनाएगी यहां पे तो ट्रस्ट ही नहीं कर सकता आदमी पे तीन कैसे बनाएगी यहां पर तुम दो को सिखाओगे तो तुम्हारा कम बाद में करेगा कॉपी करके सामने दुकान पर ले खोल लगा तो क्या करेगा आदमी तो लोटस सोसाइटी है या कोई किसी की मदद नहीं कर रहा कोई जो सपोर्ट नहीं कर रहा बस कॉपी कर रहा है तो आदमी कैसे सोचता है मेरा कम बस मैं कर लूं वही बहुत है तो अगर किसी ने किराने की दुकान कोली कहता है की दुकान बहुत है चाहूं तो कर दुकान कर लूं पर आदमी चाहिए वो आदमी मुझे मिलते नहीं है और आदमी को


ढूंढूंगा सिखाऊंगा तो कंपटीशन में खुद दुकान खोल लेंगे मेरा तो यही भला इसीलिए भारत में बड़े-बड़े बिजनेस पे भी नहीं निकले छोटे-छोटे बिजनेस बहुत सारे हैं बड़ा बिजनेस नहीं है तो अगर आपको यहां पे लगता है की और आप भी व्यापारी और आपके अंदर भी ये चीज क्या आखिर क्या तो मैं बताऊं सर आपको आज तक किसी ने लीडरशिप नहीं सिखाई आज तक किसी ने है ही नहीं सिखाई आज तक किसी ने मैनेजमेंट नहीं सिखाया आज तक किसी ने बताया नहीं की चीजों को स्केल कैसे किया जाता है फ्री कैसे ए जाता है मैं एक मेरी तरफ से ऑनेस्ट प्रयास कर रहा हूं मैं बिजनेस कोच हूं मैनेजमेंट


कंसलटेंट तो सी हो हर संडे व्यापारियों करके एक वेगनर करता हूं जिसमें व्यापारी की जो जो मिस्टेक्स करता है जो जो गलतियां करता है जिन वजह से वो आगे नहीं बाढ़ का रहा उनको डिस्कस करते और इन चीजों में एक सी कैसे बिजनेस बड़ा करता है कैसे चीजों को नेक्स्ट लेवल पर जाता है और कैसे एम्पलाई मैनेजमेंट करता है यह सभी चीज डिटेल में सिखाई जाति है तो अगर आपको लगता है की करंट एजुकेशन सिस्टम ने तो कुछ नहीं सिखाया और कुछ हटके कुछ अलग ऐसा सीखना चाहते हो जो अब तक नहीं सिखाया गया तो मैं आपको इनवाइट कर रहा हूं इस संडे 10 से दो डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है यहां पर


रजिस्टर्ड कर सकते हैं और वहां पे ए सकते हैं ये एक्सक्लूसिवली उन लोगों के लिए जो बिजनेस कर रहे हैं या बिजनेस करना चाहते हैं बाकी सब लोग वीडियो में मेरे साथ आगे बढ़ अब बात करते हैं की राहुल जी इस एजुकेशन सिस्टम में और क्या-क्या समस्या है किन-किन लेवल पे तो मैं बोलूंगा पहले समस्या जैसा मैंने कहा ना सिस्टम तो खराब ही एजुकेशन सिलेबस की बात करते हैं इंडिया के सिलेबस में क्या है भाई साहब भारत के स्कूल के सिलेबस में क्या है a² + b² का होल स्क्वायर क्या होगा साहब मुझे चाट बॉक्स में टाइप करके बताओ किस-किस ने अपनी जिंदगी में a² b² आगे जाके कम आया किसको


साइन तीता बेट कस तीता कम आया है किसको पाइथागोरस थ्योरम आगे जाके कम आई है भाई साहब क्या कर रहे हो जीवन में कम से कम ऐसी चीज तो शिखा दो जो चीज हमको कम आई करती है चेक कैसे भरे इन्वेस्ट कहां करें इन्वेस्ट कहां ना करें पैसा कैसे बनाया जाता है कर्ज से कैसे दूर रहे ये साड़ी चीज वास्तव में कम आएगी वो तो शिखर नहीं हो फालतू की बातें शिखा रहे हो और ये साड़ी लड़ाइयां के नाम 1600 में यह हुई 1500 में यह हुई इसका बेटा ये इसका बेटा ये यहां हमारा अरे भैया गूगल से एक मिनट में देख लेंगे ऐसी चीज क्यों हवा रहे हो जो आउटडेटेड है पटना है छोटा सा ब्रीफ


में दे दो थोड़ा सा यहां ठीक है हम को पता हनी चाहिए थोड़ी सी बीच में साइड में दे दो यार क्यों रता करवा रहे हो हाथ जोड़कर निवेदन है भैया प्रैक्टिकल नॉलेज दो जो कम आएगी मुझे किताब में तुम साड़ी चीज पढ़ते हो मैं रता करके 100 नंबर ले आता हूं घर वालों की आंख का तारा होता हूं पर जब इंटरव्यू में टाइम टाइप फिश हो जाति है क्योंकि इंटरव्यू प्रैक्टिकल बात पूछेगा वो तो मुझे आई नहीं इंटरव्यू में का डन अरे भाई ऑफिस का कम मत करो मेरे से तो पूछ लो तारा इनका युद्ध कब हुआ था अरे भाई युद्ध का छोड़ तू कम कर पहले सेकंड चीज जो इंडियन में एजुकेशन में गड़बड़ है टीचर


टीचर्स की क्वालिटी की बात करूं मैं गवर्नमेंट टीचर पे अगर हम बात करते हैं तो गवर्नमेंट में आपको बता दिया राम भरोसे मामला है अखबार भरे पड़े हैं की भैया गणित की परीक्षा में जिसके जीरो से भी कम आए माइंस में नंबर आए उसको गलत का टीचर बना दिया कई हमने स्टिंग देखें जहां पे टीचर्स प्रॉपर बोली नहीं का रही बट सरकार की पॉलिसी ऐसी है कहानी पे कोई रिजर्वेशन की पॉलिसी है कहानी पे कोई दूसरा करण है पता नहीं क्या करण है उनको टीचर बना दिया गया जो बिल्कुल कैपेबल नहीं है वो कैसे शिक्षा को आगे लेकर जाएंगे अगर कुछ व्यक्ति हैं जो कैपेबल है ऐसा दो-चार कैसे होंगे लेकिन


कई ऐसे व्यक्ति हैं जो कैपेबल ग गया हम कुछ करना चाहते हैं उनके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है पोस्टिंग दे देते हैं शॉर्ट से इतने दूर की भाई बंदे का जान का मां नहीं करता जाता है तो उसका दिन भर तो इस में दम निकाल जाता है फिर वहां जाकर देखिएगा तो चाट पट्टी नहीं है कहानी पे जगह नहीं है कहानी पे छड़ नहीं है पैसा बांदा पहले इंफ्रास्ट्रक्चर पर कम करें पहले तुम्हारी घुघरी की ले पहले मिड दे मिल खिलाएं पहले दूध पिलाया पहले पड़ा है उसके अलावा इन शिक्षकों को अगर कमी पद गई है सरकार को जनसंख्या मिलने शिक्षक को भेज दो एक कम करो


को भेज दो अरे यह आपको इलेक्शन करवाना है शिक्षक को भेज दो शिक्षक पड़ता का मैं ये कम ज्यादा करता है अब ये तो होता है सरकारी स्कूल जहां पे सरकार भूल चुकी है क्या करना है कैसे करना है अब इसमें आते हैं प्राइवेट स्कूल प्राइवेट स्कूल में एक चीज ध्यान रखना प्राइवेट स्कूल शिक्षा का मंदिर अब नहीं रहे ये हो गए हैं बिजनेस हाउसेस और बिजनेस हाउस का सिंपल सा मतलब है ज्यादा कमाई कम खर्चा तो कमाई कहां कमाई का सोर्स क्या है फीस तो फीस तो भैया बढ़ते रहो बढ़ते रहो बढ़ते रहो और कास्टिंग क्या है इस टीचर्स की फीस तो वो काटते रहो काटते रहो काटते रहो तो जी


स्कूल में फीस दो तो लाख रुपए की फीस स्टूडेंट से ली जा रही है वहां पे टीचर को रख लिया 15000 में 20000 में अभी 15000 में तो मैं बढ़िया टीचर थोड़ी मिलेगा टीचर को अच्छे पैसे डॉग तो टीचर अपनी इच्छा से बनेगा भारत में जी तरह से टीचर की सैलरी है और जी तरह से टीचर को रिस्पेक्ट किस समय दी जा रही है कोई टीचर बन्ना नहीं चाहता वो तो मजबूरी में बंता है अब ये जो फैक्ट्री चल रही है फैक्ट्री मतलब बिजनेस हाउस ये जो स्कूल कॉलेज के नाम पे जो स्कूल कॉलेज नाम रखना है देखो ऐसा है फीस हमको दे दो जूते हमसे ले लो कपड़े हमसे ले लो किताबें


हमसे ले लो हमारे एनुअल फंक्शन में ए जो तुम हर तरह से हमें देते ही रहो और रही बात पढ़ाई की उसके लिए भैया तुम घर पे टीचर लगा लो एक लोटा स्कूल ऐसी जगह है जहां पर पेरेंट्स पैसा भी दे रहा है बच्चे को भी भेज रहा है बच्चे के साथ बैठ के खुद होमवर्क भी कर रहा है और फिर भी बच्चा अगर पिसाड़ी निकाल जाए तो वही गली खाता है की भैया आपका बच्चा कमजोर है आप ध्यान नहीं देते अरे भाई हम ही ध्यान दे सकते तो स्कूल थोड़ी बीच दे तो यहां पे प्राइवेट स्कूल में पैसे भी खर्चो इज्जत भी खर्च हो मेहनत भी करो और बच्चा फेल है तो तुम ही जिम्मेदार हो अब मैं एक गलती और बता दो


पेरेंट्स की आप बोलोगे सर जी अभी तो पेरेंट्स को आपने विक्टिम बताया पेरेंट्स की गलती क्या है पेरेंट्स की गलती क्या है हाथ जोड़ के बोल रहा हूं सर आप साड़ी चीज देख रहे हो आप बाजार में देख रहे हो क्या हालात हो रही है सारे दुख भोग भी रहे हो आंख बैंड करके बैठे हो क्यों भाई साहब जब आपने देख लिया भैया आपने आस-पास के लोग महंगे महंगे स्कूल में चले गए फिर भी नौकरी नहीं ग रही दर-दर भटक रहे फिर भी तुम इसी पैटर्न पर चले हुए आज बैंड करके जो सपना मैं नहीं कर पाया मैं मेरे बेटे से करूंगा मैं डॉक्टर बन्ना चाहता था पर मैं डॉक्टर नहीं बन पाया इसको बेटे को


बनाऊंगा अरे भैया ये कौन सी लड़ाई है यार शर्मा जी का बेटा बन गया डॉक्टर तो मेरा बेटा भी डॉक्टर बन्ना चाहिए वर्मा जी की बेटी इस की तैयारी कारी तो बेटा तू भी कर ले पहले क्या होते थे लोग आपस में मुर्गी लड़ते थे और मजे लेते थे अब मुर्गी तो है नहीं आपस में बच्चे लाडा रहे हो की मेरा बच्चा तेरे बच्चे से बढ़िया कैसे खुद कंपटीशन में नहीं कर पे आप अपने बेटों का कंपटीशन कर रहे हो ये कौन सी आदत है भाई एक सवाल पूछते हैं सर बताओ आजकल क्या चल रहा है हमने बच्चे को वही कर दे अरे भैया कोई फैशन है क्या की आजकल फटी जींस पहन लिए तो वो पहन लेते हैं आजकल कपड़े में


क्या चल रहा है आजकल टीवी में क्या चल रहा है अरे भैया करियर है बच्चे का आजकल डॉक्टर का सही चल रहा है डॉक्टर कर दे आजकल इंजीनियरिंग की बड़ी बातें जल्दी कर दे मतलब भेद चल में चल रहे हो अगर बी अच्छा चल रहा है तो सब बा कराएंगे और फिर बा कितनी बड़ी गाड़ी कर लेंगे फिर 15-15 अभी 20000 में बा दो लेंगे भाई साहब कोई ऐसा करियर ढूंढो जिसमें अगर आपके बच्चे का इंटरेस्ट हो कंपटीशन कम हो और वह अलग से अपनी दुनिया बनाए पर नहीं अगर बच्चा कुछ अलग से लेक ए जाए की पापा मैं फोटोग्राफी करूंगा मैं ग्राफिक डिजाइनर बनेगा मेरी ये इच्छा है मेरे सपना अरे बोले साइड है तो


डॉक्टर बनेगा तू तो इंजीनियर बनेगा ये देख के जो कर प्रोफेशन जिसकी पीछे तुम कूद गए थे ना की सबको डॉक्टर बनाएंगे सबको इंजीनियर सबको बा सबको का सबको सरकारी नौकरी ये सारे प्रोफेशन की लंका ग गई है क्योंकि इतना कंपटीशन है डॉक्टर के लिए व्यक्ति करोड़ रुपए खर्च कर रहा है पर उसकी जो नौकरी ग रही है 50 8000 रुपए की उसे जितना पैसा डॉक्टर बने में खर्च किया जितना समय खर्च किया उतने पैसे के तो बास भी नहीं मिल रहा सैलरी में तुमको तो भाई साहब इस चक्र में मत पड़ो की मेरा भाई का लड़का यह बना तू का लड़का है बना पड़ोसी का लड़का बना तो मैं भी उसको ही बनाऊंगा


उसे बच्चे को अपने हाल पे छोड़ दो उसको कहो की बेटा तेरी जो इच्छा है तेरा जो मां है जो तुझे पसंद आता है उसे डायरेक्शन में आगे बाढ़ जा उसे जगह पैसे खर्च करेंगे बच्चा कहते हैं एंटरप्रेन्योरशिप करूंगा ₹10000 दो नहीं देंगे पढ़ने जाएगा 20 लाख लगा डॉग 20 लाख का हाल जीरो हो जाएगा वो ₹10 लाख से बिजनेस करता कुछ तो कर लेट यार अपने मां का तो कुछ करता वह फेल हो रहा है आपके कस किया हुए प्रोफेशन में फेल हो रहा है उसका कुछ चूज किया परमिशन में फेल हो जाएगा उसका मां ग्राफिक डिजाइनिंग का है उसको करने दो दो-तीन लाख कोर्स के लगाएगी


हो सकता है उसमें फेल हो जाए पर कम से कम उसको तसल्ली रहेगी की यार मैंने ट्राई किया मैं फेल हो गया आपके चुने हुए प्रोफेशन में क्यों फेल करते हो फिर वो जिंदगी की जंग हारता है लास्ट बट नोट डी लिस्ट स्टूडेंट स्टूडेंट बोले सर हम क्या करें तो हम तो विक्टिम है देखो हमारे स्कूल वाले कॉलेज वाले सरकार पेरेंट्स सब हमारे पीछे पड़े हम विक्ट्री में सर जी एक बात बताओ तुम कुछ बाइक लेनी होती तो जिद्दी भयंकर करते हो ना क्यों अरे मैं तो बाइक लूंगा खाना नहीं खाता क्लेश करते हो लेकिन मानते हो आईफोन लेना होता है तो क्लेश करके मानते हो जिद्दी पहन कर आई है


लव मैरिज करनी होती तो जिद्दी भयंकर करते हो पर जब करियर की बात आई है तो कहते क्या कल है पापा ने इंजीनियर कल दी हमारे तो मां नहीं था पापा ने जबरदस्ती कर दी पापा जबरदस्ती शादी तो नहीं कर रहा है तुम्हारी आईफोन तो नहीं छोड़ बाबा आईफोन तो ले ही लेते हो तो जहां तुम्हारा जरूर पड़ता है वहां कर लीजिए और जब नहीं होता पापा ने दिल दी पापा को देखो ऐसा है उन्होंने जैसी दुनिया अच्छी ना उन्होंने देखा डॉक्टर से अच्छा कम करते तो आपको डॉक्टर बन्ना चाहते हैं उन्होंने अपने सर्किल में देखा की इंजीनियरों ने बहुत जीवन में अच्छा किया


तो मैं इंजीनियर बनाना चाहते हैं उनको एक्स्पोज़र नहीं है दुनिया का आपने दुनिया अच्छी आपने आसपास बड़े भैया लोगों को आज पड़ोसी को जानते हैं की यार इन्होंने ये चीज कर ली इनका हुआ नहीं और मेरा इसमें इंटरेस्ट है मुझे करने दो अपने पिताजी को बार-बार धीरे-धीरे समझो माता-पिता को समझो एक्स्पोज़र बताओ जो तुम चीज करना चाहते हो उसका एक्स्पोज़र बताओ जो चीज वह करना चाहते हैं अगर उसमें तुम्हारा इंटरेस्ट नहीं है खुला के बताओ धीरे-धीरे आगे पीछे समझेंगे और अगर नहीं समझते हैं जिद्दी करनी है तो इस चीज में जिद्दी करो तुम्हारा करियर बच्चे तुम्हारा करियर तो


बनेगा उनका पैसा तो बचेगा उनकी जिद्दी के चक्कर में उनका पैसा उनके सपना भी डूबा रहे हो वो भी ना कुछ तुम भी ना कुछ हो ये क्या जिंदगी है भाई अब बात आई है की सर जी सॉल्यूशन क्या होना चाहिए सॉल्यूशन ऐसा है एक तो मैं गवर्नमेंट भी लेक्चर देता हूं की गवर्नमेंट को ऐसा करना चाहिए शक करना चाहिए मेरे खाने से तो करेगी नहीं और तुम गवर्नमेंट के भरोसे कभी बैठना मत फिर तुम बात करो स्कूल ऐसा करना चाहिए वो भी नहीं करेंगे उनको जहां से कमाई आएगी जहां से पैसा मिलेगा वो सारे कम करेंगे तो ना स्कूल सुधारना कॉलेज सुधरे ना सुधरे गवर्नमेंट सुधारना है तो पेरेंट्स को


सुधार रहा है तो स्टूडेंट को हालातो का रोना रो मत सिस्टम ऐसा है सिस्टम समय के साथ बदलेगा ये तो ऐसा ही रहेगा बदलने में 2 साल 5 साल 10 साल 20 साल ग जाएंगे तब तक तुम्हारी जिंदगी खत्म हो जाएगी तुम क्या करो इस सिस्टम को करो बाय पास जितने भी सक्सेसफुल व्यक्ति हैं जिनका भी तुम नाम लेते हो ना की यार काश ऐसा बानो काश ऐसा बानो इन्होंने एजुकेशन सिस्टम पे ध्यान नहीं दिया अपनी जिंदगी खुद बनाया किताबी एजुकेशन को रखा है साइड में प्रैक्टिकल पर दिया ध्यान में नहीं का रहा स्कूल छोड़ दो कॉलेज छोड़ दो पर स्कूल कॉलेज को उतना वेज


मत दो दिमाग में जितना दे रखा है स्कूल में 12वीं में बहुत बड़े नंबर ला के कुछ न्यू कैट रहे और कॉलेज में बहुत बड़ी डिग्री लेक कुछ नहीं कर रहे तुम बा के डिग्री ले आओ 98% की तो मैं आता नहीं ना कोई दो पैसे की नौकरी नहीं देगा और बिना बा तुम तुम्हारे पास मैनेजमेंट स्किल है तुम कम कर लेते हो तुम्हारे पास आइडिया का सॉल्यूशन है बिना डिग्री के मैं और मेरे जैसे होती है विजडम चीज अलग होती है हमारी


स्कूल एजुकेशन सिस्टम से इतने ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड है की स्कूल कॉलेज खत्म होने के बाद हम पढ़ना ही नहीं चाहते मैं आपको बोलना हूं अपनी पढ़ाई और अपनी एजुकेशन जारी रखो खुद तो मैं आज आपको एक हैशटैग देता हूं हैशटैग सेल्फ एजुकेशन की हमें स्कूल कॉलेज के सिलेबस के भरोसे नहीं बैठना है हमें खुद की पढ़ाई खुद करनी है जो सीखना है जो जानना है सीखो पूरा युटुब खाली पड़ा है पूरा युटुब से सीखो गूगल से सीखो जिससे सीखना सीखो दान बस ये जो वीडियो है मैं चाहता हूं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे तो इस वीडियो को आप अपने सोशल मीडिया हैंडल में लगाइए अपनी स्टोरी


पे लगे है इस पे कोई कॉपीराइट कुछ नहीं आएगा हर जगह डालिए मुझे टैग कीजिए और टैग कीजिए हैशटैग सेल्फ एजुकेशन अगली वीडियो में फिर मिलते हैं तब तक के लिए धन्यवाद जय हिंद